प्रदूषण पर निबंध – पर्यावरण में शुद्ध वायु, जल, मिट्टी और शुद्ध वातावरण का न मिलना प्रदूषण कहलाता है। वर्तमान समय में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है जो हमारी पृथ्वी को बड़े स्तर पर प्रभावित कर रहा है। वाहनो और कारखानों से निकलने वाला जहरीला धुँआ हवा को दूषित कर रहा है, वहीँ दूसरी ओर कल कारखानों से निकले दूषित जल और कचरे को समुद्र और नदी नालों में फेंक दिया जाता है जिससे जल प्रदूषण हो रहा है।
मानव जीवन को स्वस्थ और लम्बे समय तक जीने के लिए शांत और स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता होती है। लेकिन वर्तमान समय में प्रदूषण जिस तेजी से फैल रहा है। उससे शुद्ध खाद्य पदार्थ और शुद्ध वातावरण की कल्पना नहीं की जा सकती है। प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने कई सारे नियम लागू किये लेकिन अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ है।
प्रदूषण क्या है (What is Pollution in Hindi)
प्राकृति ने हमें पानी, हवा भूमि और कई महत्पूर्ण संसाधन प्रदान किये है जो जीवनयापन करने के लिए बहुत आवश्यक होता है। लेकिन जब इन प्राकृतिक संसाधनो में गन्दगी या दूषित तत्व मिलने से इनका संतुलन बिगड़ जाता है तो उसे प्रदूषण कहते हैं।
प्राकृतिक संसाधनो का संतुलन बिगड़ने से कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। वर्तमान समय में सभी चीजें दूषित होने की वजह से छोटी बीमारियों से लेकर अस्तित्व संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। मनुष्य ने अपने फायदे के लिए पेड़ो की अन्धाधुंध कटाई की है जो पर्यावरण असंतुलित होने का एक प्रमुख कारण है।
प्राकृतिक का असंतुलन होना सम्पूर्ण मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है। इसलिए सभी लोगो की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी के साथ प्रदूषण को दूर करने में अपना सहयोग दें।
अगर हम लोग अपने आने वाली पीढ़ी के उज्वल भविष्य के कामना करते हैं तो हमें एक साफ-सुथरा, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण का निर्माण करना पड़ेगा। और बढ़ते प्रदूषण को रोकना पड़ेगा नहीं तो सम्पूर्ण पृथ्वी का विनास होने में ज्यादा वर्ष नहीं लगेंगे।
प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution in Hindi)
प्रदूषण के मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण। तो चलिए इन सभी प्रदूषण को एक-एक कर विस्तार से जानते हैं।
1. वायु प्रदूषण
वाहनों और कारखानों से निकंलने वाला हानिकारक और जहरीला धुँआ हवा को दूषित करता है जिससे वायु प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण के होने लोगो को लोगों को सांस लेने के लिए दिक्कत और दिल और फेफड़ों से संबंधित कई तरह की बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण केवल मानवीय कार्यों द्वारा नहीं होता बल्कि प्राकृतिक रूप से भी होता हैं। जैसे-ज्वालामुखी फटने से हानिकारक गैसे बाहर निकलती हैं और वायु प्रदूषण करती हैं। इसके अलावा आँधी से चलने से धूल के कणवातावरण को दूषित करते हैं। इस प्रकार यह कह सकते हैं कि प्राकृतिक स्रोतो से वायु प्रदूषण मानवीय स्रोत की तुलना में सीमित मात्रा में हानि पहुंचाते हैं।
वायु प्रदूषण रोकने के उपाय
- वायु प्रदूषण को रोकने के लिए स्वच्छ ईंधनों, जैसे सी.एन.जी. का इस्तेमाल करना चाहिए।
- ऊर्जा के स्वच्छ संसाधनोंजैसे सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा और जल ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
- प्रदूषण करने वाली चीजों के उत्पादन और उपभोग में रोक लगानी चाहिए।
- ऐसे उद्योग ज्यादा मात्रा में प्रदूषण फैलाते हों, उन्हें रिहायशी इलाकों से काफी दूर रखना चाहिए।
2. जल प्रदूषण
घरों और कारखानों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा नालियों में बहता हुआ नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में जाकर मिल जाता है जिससे जल प्रदूषण होता है। इसके अलावा कृषि में उपयुक्त उर्वरक और कीट-नाशक मिलाने से भी जल दूषित होता जाता है।
जल प्रदूषण होने से लोगो को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिलता है और लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं जिसके कारण लोगो को हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
जल प्रदूषण रोकने के उपाय
- पीने वाले जल स्त्रोत जैसे तालाब, नदी, इत्यादि के चारो ओर दीवार बनाकर गंदगी जाने से रोका जाना चाहिए।
- रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग कम से कम होना चाहिए।
- घरों और कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को जल स्त्रोत में मिलने से रोकना चाहिए।
- हर घर में सेप्टिक टैंक होना चाहिए।
- नदी तथा तालाबो मे पशुओं को नहलाने और कपड़ा धोने से रोकना चाहिए।
3. मृदा प्रदूषण
जब मानवीय और प्राकृतिक कारणों से मृदा की गुणवत्ता में ह्रास को मृदा-प्रदूषण कहते हैं। घरों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा जमीन पर ही फैला रहता है, और वह मिट्टी को दूषित करता है जिससे मृदा प्रदूषण होता है। इसके अलावा खेती में ज्यादा मात्रा में उर्वरकों और कीट-नाशकों का इस्तेमाल करने से भी मृदा प्रदूषण होता है।
मृदा प्रदूषण होने से मच्छर, मक्खियाँ और अन्य तरह के कीड़े पनपने लगते हैं, जिस वजह से मनुष्य कई तरह की गंभीर बीमारियाँ से ग्रसित होने लगता हैं। संक्रमित मिट्टी में उगाई जाने वाली सब्जियों का सेवन करने से लोगो को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मृदा प्रदूषण रोकने के उपाय
- मृदा प्रदूषण को रोकने के वृक्षारोपण करना चाहिए।
- फसलों पर छिड़कने वाली उर्वरकों और कीट-नाशकों का इस्तेमाल कम होना चाहिए।
- गाँव और शहरों में मल एवं गन्दगी को एकत्रित करने के लिए उचित स्थान की व्यवस्था होनी चाहिए।
- पेड़ और वनों के विनाश पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- खेती करने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए।
4. ध्वनि प्रदूषण
तेल शोर या ध्वनि जो मानव के लिए हानिकारक होता है उसे ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण होने के कारण लोगो को मानसिक तनाव बढ़ता है, उनकी सुनने की क्षमता कमजोर होती है और कभी-कभी इतनी तेज आवाज होने की वजह से उनकी सुनने की ताकत हमेंशा के लिए चली जाती है।
ध्वनि प्रदूषण होने के कई कारण होते हैं जैसे कारखानों में चलने वाली मशीनों और दूसरे उपकरण से, सड़क पर चलने वाली गाड़ियों, पटाखे फूटने की आवाज़ और तेज लाउड स्पीकर बजने से होता है।
ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय
- ज्यादा शोर करने वाले वाहन, मोटर, ट्रक, आदि पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।
- उद्योगों, कल-कारखानों में शोर उत्पन्न करने वाली मशीनों का इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए।
- लम्बे और घने वृक्ष ध्वनि को शोषित करते हैं इसलिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए।
- तेज लाउड स्पीकर बजने पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए है।
- टी.वी. रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेपरिकार्डर, ग्रामोफोन्स आदि को धीमी गति से चलाना चाहिए।
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