आपदा प्रबंधन पर निबंध । Aapda Prabandhan Par Nibandh

आपदा प्रबंधन पर निबंध – प्रकृति ने कई कई सारी खूबसूरत चीजें प्रदान की है जैसे पेड़, फूल, पत्ते, नदियाँ, झरने, पहाड़ आदि। मानव अपने जीवन काल में इन्ही का सुख भोगता है। कई बार प्रकृति आपदा के कारण पेड़ गिरना, बाढ़ आना, चट्टानों का गिरना जैसे प्राक्रितक घटनाये होती है। इससे मानव जीवन पल भर में अस्त व्यस्त हो जाता है।

पूरी दुनिया जिस प्रकार से विकास कर रही है उसी प्रकार से हर साल कई आपदाओं का सामना करना पड़ता है। आपदा की वजह से लोगो को अपने जान और माल दोनों का नुकसान उठाना पड़ता है। हालांकि आपदा प्रबंधन से जुड़े लोग, आपदा से होने वाले घटनाओं को कम करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

आपदा प्रबंधन क्या है (What is Disaster Management in Hindi)

अचानक होने वाली घटनाएँ जैसे भूकंप, बाढ़, सूखा-अकाल,पुलों का टूटना, बड़ी बड़ी इमारतों का ढह जाना इत्यादि जिसमे जान और माल का नुकसान होता है उसे आपदा कहते हैं। आपदा के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए किये जाने वाले प्रबंध को आपदा प्रबंध कहते हैं। आपदा एक विध्वंसकारी घटनाएं है, जो प्रकृति और मानव द्वारा घटित होता है।

आपदा मानव जीवन से लेकर पर्यावरण को भी भयंकर नुकसान पहुचाती है। ये घटनाएं इतनी विनाशकारी होती है जो पल भर में सब कुछ नष्ट कर देती हैं। इस क्षति से उभारने में सरकार और प्रशासन के लिए भी चुतौतीपूर्ण होता है। आपदा प्रबंधन में काम करने वाले लोग आपदा आने से पूर्व सभी लोगो को चेतावनी देते है। और लोगो के बचाव की रणनीति भी बनाते है।

भारत सरकार ने वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम जारी किया। और आपदाओं से निपटने के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट की स्थापना की है। इस मिशन में कई युवा संगठन जुड़े है जैसे एनसीसी, NRSC , ICMR इत्यादि और लोगो को जागरूक कर रहे हैं।

आपदा के प्रकार (Types of Disaster in Hindi)

आपदा मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है प्राकृतिक आपदा और मानव निर्मित आपदा।

1.) प्राकृतिक आपदा

प्रकृति के द्वारा आने वाली आपदा प्राकृतिक आपदा कहलाती है। प्राकृतिक आपदा पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीवो को नुकसान पहुंचाती है। प्राकृतिक आपदा जैसे सूखा, बाढ़ भूकंप, भूस्खलन, सुनामी जैसे समस्त घटनाएं हैं। इन प्राकृतिक घटनाओं का घटित होने में मानव का कोई हाथ नहीं होता है।

(a) सूखा आपदा

पानी जीवन यापन करने का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। सूखा आपदा के कारण सभी जीवों को विषम परिश्तियों से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसा क्षेत्र जहां पर 25% या उससे कम वारिष होती है, उसे सूखा क्षेत्र कहा जाता है।

हमारे देश में आज भी कई क्षेत्रों में सूखे की स्थिति बनी हुई है। सूखा पड़ने से लोगो को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे खेती की सिचाई न होना, पीने का पानी न मिलना, अधिक तापमान बढ़ना आदि। इसके अलावा कई सारे पशु – पक्षी सूखे के कारण प्यास से जूझकर मर जाते है।

सूखा आपदा प्रबंधन एवं उपाय

  • सूखा आपदा से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा जल संग्रहण करना चाहिए।
  • नदियों को आपस में जोड़कर एक ग्रिड बनाना चाहिए जिससे शुष्क और अनावृष्टि क्षेत्रों में जल की आपूर्ति हो सके।
  • सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए खेती से हटकर लोगो रोजगार के नए अवसर प्रदान करना चाहिए।
  • अलग अलग तरीको से जल की बचत करनी चाहिए, जिससे सूखे जैसे हालात में काम आ सके।

(b) बाढ़ आपदा

बाढ़ आपदा आने पर बड़े भू भाग पर जलमग्न हो जाता है जिससे जन धन की अपार हानि होती है। बाढ़ के कारण जीव-जन्तुओं के घर उजड़ जाते हैं, कई प्रकार की खतरनाक बीमारियां फैलती हैं, फसलें खराब और अन्य खाने पीने की चीजें ख़राब हो जाती है।

बाढ़ कुछ विशेष क्षेत्रों में और वर्षा ऋतु के मौसम में आने के सम्भावना होती है। बाढ़ आने की स्थिति तब होती है जब नदियों में पानी का स्तर बढ़ता है, बर्फ का अधिक पिघलने के कारण और बादल फटने से भी बाढ़ आने की स्थिति बन जाती है। बाढ़ एक भयानक स्थिति होती हैं। इस संकट से निपटने के लिए और पुनः अपनी जीविका को स्थापित करने के लिए लोगो को कई वर्ष लग जाते हैं।

बाढ़ आपदा प्रबंधन एवं उपाय

  • बाढ़ आपदा को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा वृष्क्षारोपण करना चाहिए।
  • बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए नदियों पर अनेक छोटे छोटे बांध बनाए जाएं।
  • घरो को बाढ़ जैसे क्षेत्रों से दूर बनाना चाहिए।
  • पेड़ों की कटाई पर शख्त पाबंदी करना चाहिए।

(c) भूकंप आपदा

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो अचानक किसी भी समय आता है। जिस क्षेत्र में भूकंप आता है वह पर कंपन होने लगता है और धरती हिलने-डुलने लगती है। भूकंप आपदा बहुत ही खतरनाक स्थित होती है इसकी वजह से पल भर में बड़ी-बड़ी बिल्डिंगे धरासाई हो जाती है और जान-माल की हानी होती है।

ऐसा माना जाता है कि भूकंप आने की स्थित तब बनती है जब पृथ्वी की सतह बड़ी-बड़ी प्लेटों से मिलकर बनी है और जब पृथ्वी के आंतरिक भाग में गर्मी बढ़ जाती है तो यह प्लेटें एक दूसरे की तरफ खिसकती है, इनके खिसकने और फैलने से भूकंप आपदा आता है।

भूकंप आपदा प्रबंधन एवं उपाय

  • भूकंप आपदा से बचने के लिए लोगो को जागरूक करना चाहिए ताकि भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में घरों का निर्माण न करें।
  • कोई भी इमारत बनने से पहले मिट्टी का विश्लेषण कराना बहुत जरूरी होता है। और नरम मिट्टी के ऊपर मकान नहीं बनाना चाहिए।
  • इमारतों की डिजाइन इंजीनियर की सहयोग से बननी चाहिए।
  • भूकंप की स्थिति होने पर खुले जगह पर जाना चाहिए।
  • भूकंप के वक़्त लिफ्ट का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • किसी भी पेड़ और बड़े इमारत के नीचे न खड़े हों।

(d) भूस्खलन आपदा

मिट्टी या चट्टानों का ऊपरी स्तर से नीचे नीचे गिरने की स्थित को भूस्खलन आपदा कहते है। भूस्खलन आपदा बहुत बड़े पैमाने पर होता है जिसमे धीरे धीरे शुरू होकर बाद में तेज गति के साथ मलबा नीचे की ओर गिरता है।

स्खलन आपदा आने पर जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है आवागमन के मार्ग बंद हो जाते हैं, नदियों का मार्ग बंद हो जाता है, लोगो के मकान के मलबे के नीचे दब जाते है और अन्य कई समस्याएं होती है।

भूस्खलन आपदा प्रबंधन एवं उपाय

  • भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों के निकट किसी भी बस्तियों को नहीं बसाना चाहिए।
  • भूस्खलन संभावित क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए।
  • पर्वतीय क्षेत्रों परिवहन के मार्गों के दोनों ओर मजबूत दीवार बनाना चाहिए।
  • भूस्खलन ज्यादातार वर्षा ऋतु में होती है इसलिए वर्षा निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।

5. सुनामी आपदा –

बड़े-बड़े समुद्रों में भूकम्प आने से तेज समुद्री लहरें उठती है जिसे सुनामी आपदा कहते हैं। सुनामी लहरें बहुत तेज गति से धरातल की ओर बढ़ती हैं और अपने संपर्क में आने वाली सभी चीजों को तबाह कर देती हैं।

समुद्री का पानी कभी भी शांत नहीं रहता इसमें लहरें हमेंशा उठती रहती हैं लेकिन भूकंप और ज्वालामुखी के कारण लहरें सुनामी आपदा का रूप ले लेती है। इतिहास में अभी तक सबसे भयानक सुनामी 9 जुलाई1958 में लिगुआ खाड़ी, अलास्का में आई थी।

सुनामी आपदा प्रबंधन एवं उपाय

सुनामी आने की सम्भावना होने पर तटीय क्षेत्र खाली कर देना चाहिए है।
सुनामी प्रभावित क्षेत्र के निकटतम घर नहीं बनाना चाहिए।

2 ) मानव निर्मित आपदा

ऐसी आपदा जिसका जिम्मेदार खुद मानव होता है मानव निर्मित आपदा कहलाता है। मानव अपने स्वार्थ और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति से खिलवाड़ करता है, जिसके कारण मानव निर्मित आपदा उत्पन्न होती हैं।

मानव निर्मित आपदायें जैसे बम विस्फोट, वायुयान दुर्घटनाएं, रेल दुर्घटनाएं, जनसंख्या विस्फोट, रासायनिक कारखानों से रिसने वाली जहरीली गैसें, मिट्टी का कटाव, मानव जनित भूस्खलन, मानवजनित महामारी, आग लगना इत्यादि।। इन घटनाओं का जिम्मेदार खुद मानव ही होता होता है।

(a) बम विस्फोट

बम विस्फोट आपदा एक खतरनाक गतिविधि है जिसके कारण लोगो को जानमाल का भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बम विस्फोट पदार्थ देश की सुरक्षा के लिहाज से बनाया गया है लेकिन कई देश और आतंकी संगठन इसका गलत इस्तेमाल करके आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।

ज्यादातर मामलों में बम विस्फोटक पदार्थ को ऐसे स्थानों पर विस्फोट किया जाता है जहाँ पर ज्यादा से ज्यादा लोगो की उपस्थिति हो जैसे सार्वजनिक स्थानों, धार्मिक स्थलों इत्यादि।

आपदा प्रबंधन एवं उपाय

किसी संदिग्ध वस्तुओं के पास जाकर न छुए।
अगर कहीं पर संदिग्ध वस्तुयें पडी हैं तो तत्काल पुलिस को सूचित करें।

(b) रासायनिक आपदा

आज का युग विज्ञान का युग है। आज के समय में विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है। देश में अलग-अलग हिस्सों में रासायनिक कारखाने बनायें गए है जिससे मानव जीवन को सुखी और समृद्ध शाली बनाया जाए है। लेकिन कई बार मानव की लापरवाही के कारण इन रासायनिक कारखानों से जहरीली गैसों का रिसाव हो जाता है और जिससे कई लोग अपनी जान गवां देते हैं।

एक बारगैस रिसाव की भयानक घटना भोपाल, मध्यप्रदेश में घट चुकी है। इसमें लगभग 3600 लोग मरे और कई लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों की चपेट में गए थे।

रासायनिक आपदा प्रबंधन एवं उपाय

  • रासायनिक उद्योगों के लिए बीमा और सुरक्षा संबंधी कानून का सख्ती पालन होना चाहिए।
  • जहरीले पदार्थों के भंडारण सीमित मात्रा में करना चाहिए।
  • खतरनाक रसायनों का उपयोग और बचाव के तरीको को आम नागरिक तक पहुंचाना चाहिए।

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