रक्षाबंधन पर निबंध – रक्षाबंधन भाई बहन का त्यौहार है। यह त्यौहार मुख्य रूप से हिन्दू घर्म का है। लेकिन भारत में सभी धर्म के लोग बड़े सम्मान और उत्साह भाव से मानते हैं।
रक्षाबंधन बंधन का त्योहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक होता है इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके खुशहाल ज़िंदगी की कामना करती है। इसके साथ ही भाई भी अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देता है।
रक्षा बंधन का पावन त्योहार हर साल श्रवण मास पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस राखी का त्यौहार भी कहा जाता है। यह भारत का सबसे लोकप्रिय त्योहार है।
रक्षा बंधन का इतिहास – History of Raksha Bandhan in Hindi
रक्षा बंधन का इतिहास काफी प्राचीन है। इसकी उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग मान्यताएं है। रक्षा बंधन से जुड़ी इतिहास की सभी कथाएं पौराणिक तथा ऐतिहासिक है। इन कथाओं का वर्णन कुछ इस प्रकार से है।
राजा बलि और माँ लक्ष्मी की कथा – रक्षा बंधन के उत्पत्ति से जुड़ी राजा बलि और माँ लक्ष्मी की सबसे प्रचलित कथाओं में से एक है। जब राजा बलि ने सौ अश्वमेध यज्ञ पूरे करके स्वर्ग पर अपना राज्य स्थापति करने का प्रसाय किया तो स्वर्ग के राजा इंद्र और सभी सभी देवताओं ने भगवान् विष्णु का स्मरण करने लगे। तब भगवान विष्णु वामनरुप धारण किया और राजा बलि के द्वार पर पहुंचे। जब राजा बलि ने बोला किया महराज आपको क्या चाहिए तो वामनरुप में विष्णु ने कहा हे राजन! मुझे केवल तीन पग धरती चाहिए। राजा बलि ने जैसे ही तीन पग धरती देने वजन दिया। उसी पल भगवान विष्णु ने विराट रुप धारण किया और एक पग में पूरी धरती और दूसरे पग में पूरा स्वर्ग नाप दिया। इसके बाद राजा बलि से तीसरे पग के लिए स्थान पूछा तो राजा बलि ने आग्रह किया कि हे भगवन तीसरा पैर आप मेरे सिर पर रख दें।
राजा बलि की इस भक्ति और दान भाव को देखकर भगवान विष्णु अत्यधिक प्रसन्न हुए और राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने राजा बलि को वर मांगने को कहा। इस पर राजा बलि ने कहा कि हे प्रभु आप दिन-रात मेरे सामने रहें, यही मेरा वर है। भगवान् विष्णु ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया। उधर बैकुंठ धाम में माता लक्ष्मी जी परेशान हो गई और देवर्षि नारद से उपाय माँगी। देवर्षि नारद जी के उपाय के अनुसार माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षासूत्र में बांधकर अपना भाई बना लिया और राजा बलि से वर मांगकर भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्त कराया। ऐसी भी मान्यता है कि जिस दिन माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी थी तो उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। इसी कारण से रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
कृष्ण और द्रौपदी की कथा – जब भगवान् श्रीकृष्ण से शिशुपाल का वध किया जाता तो उनकी तर्जनी उंगली पर चोट आ गई थी। लहू-लुहान भगवान् श्री कृष्ण की उंगली को देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर पट्टी बांधी दी। उनके इस कार्य को देखकर भगवान श्रीकृष्ण अधिक प्रसन्न हुए और द्रौपदी को रक्षा का वचन दिया। जिस दिन यह घटना घटित हुई थी उस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा का ही दिन था।
सिकंदर और राजा पुरु की कहानी – 326 ई पू में जब सिकंदर भारत में प्रवेश किया था। तो सिकंदर की पत्नी हिन्दू राजा पुरु को राखी बांधकर अपना भाई बनाया था। राजा पुरु ने वजन दिया था कि वो सिकंदर को जान से नहीं मारेंगे। इसके बाद जब सिकंदर और राजा पुरु के बीच युद्ध हुआ तो अपनी बहन को दिए हुए वजन के अनुसार सिकंदर को जीवनदान दिया था।
रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाया जाता हैं
रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का त्यौहार हैं जिससे लोग बड़ी धूम-धाम से मानते हैं। छोटी-छोटी बातों पर लड़ने वाले भाई बहन इस दिन सारे गम भुलाकर अपने भाई को बड़े प्यार से राखी बांधती है। कई बार ऐसा होता है कि किसी भाई परदेस में हैं या किसी की बहन ससुराल से नहीं आ पाई लेकिन ऐसे वक्त में भी बहन अपने भाई के लिए राखी कुरियर या डाक करके जरुर भेजती है।
रक्षाबंधन का त्यौहार आने से पहले ही लोगो के चेहरे मुस्कान से भर उठते हैं। बाजारों में काफी भीड़ देखने को मिलती है। लोग अपने अपने घरों की साफ़-सफाई करके सजावट करते हैं। रक्षाबंधन के दिन भारत में सार्वजनिक अवकाश रहता है। ताकि सभी को त्यौहार मानने का समय मिल जाए है। यदि कोई भाई या बहन कहीं दूर हैं तो वहाँ जाकर एक दूसरे से मिल सके और रक्षा बंधन के इस पावन पर्व को मना सके।
रक्षाबंधन के दिन सभी बहने प्रातः उठकर स्नानादि करके पूजा की थाली सजाती हैं। थाली में राखी, हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई, फूल आदि सामग्री होती हैं। भाई भी तैयार होकर राखी बंधवाने के लिए उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। इसके बाद बहन भाई को हल्दी टीकाकर उसकी आरती उतारती है, पुष्प छिड़कती है, दाहिनी कलाई पर राखी बाँधती और मुह मीठा करवाती है। इसके बाद भाई भी अपनी बहन को कुछ पैसे या गिफ्ट देता है। आमतौर पर इस दिन सभी के घर में अच्छे पकवान और स्वादिष्ट भोजन बनते हैं। रक्षाबन्धन के अनुष्ठान को पूरा करने के बाद सभी लोग भोजन करते है।
रक्षा बंधन का महत्त्व – Importance of Raksha Bandhan in Hindi
रक्षाबन्धन त्यौहार का बहुत बड़ा महत्त्व होता है। यह पर्व भाई बहन के विश्वास और भावनाओं की शक्ति के महत्व को दर्शाता है। जहाँ पर सभी बहने अपने भाइयों को राखी बंधती है और रक्षा का दायित्व लेते हैं। इस त्यौहार में ऐसा जरुरी नहीं होता है कि जिन बहनों के सगे भाई हों केवल उन्ही को राखी बाँधी जाए। बहने जिस किसी को सच्चे मन से भाई के रूप में मानती हैं उसे राखी बाँधती हैं। और भाई के लिए मंगलमय की कामना करती है।
रक्षा बंधन से जुडी ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यतायें भी हैं। यही कारण है कि रक्षा बंधन का त्यौहार हिंदू संस्कृति में इतना महत्वपूर्ण है।
रक्षा बंधन पर निबंध 10 लाइन – 10 lines About Raksha Bandhan in Hindi
- रक्षा बंधन प्रमुख रूप से हिन्दुओ त्यौहार है।
- रक्षा बंधन का इतिहास काफी प्राचीन है।
- रक्षा बंधन भाई बहन का त्यौहार है।
- रक्षा बंधन हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
- रक्षा बंधन को राखी का त्यौहार भी कहा जाता है।
- इस दिन बहन भाई को राखी बांधती है और रक्षा का वचन लेती है।
- इस दिन भाई अपनी बहनो को पैसे या उपहार भी देते है।
- इस दिन घर में तरह-तरह प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं।
- रक्षा बंधन के दिन भारत में सार्वजनिक अवकाश रहता है।
- रक्षा बंधन का त्यौहार भारत के साथ-साथ और विदेशो में भी मनाया जाता है।
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